SHIV CHAISA OPTIONS

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मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? - प्रेरक कहानी

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं Shiv chaisa पाई॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात shiv chalisa lyricsl न काऊ॥

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

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